हमारे देश भारत में इंटरनेट की शुरुआत ! Hamare Desh Bharat Me internet ki Survat ! Introduction of Internet in our country India!

Introduction of Internet in our country India!

हमारे देश भारत में इंटरनेट की शुरुआत

हमारे देश भारत में इंटरनेट की शुरुआत ! Hamare Desh Bharat Me internet ki Survat ! Introduction of Internet in our country India!

हमारे देश भारत में इंटरनेट की शुरुआत ! Hamare Desh Bharat Me internet ki Survat ! Introduction of Internet in our country India!
Introduction of Internet in our country India

हमारे देश भारत में इंटरनेट की शुरुआत आम जनता के लिए 15 अगस्त 1995 को हुई थी। यह सेवा विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा शुरू की गई थी।

हालांकि, इससे पहले भी भारत में इंटरनेट का उपयोग सीमित स्तर पर होता रहा था। 1986 में एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) की स्थापना हुई थी, जिसने मुख्य रूप से शैक्षणिक और अनुसंधान समुदायों को इंटरनेट तक पहुंच प्रदान की थी। लेकिन, व्यावसायिक और सार्वजनिक उपयोग के लिए इंटरनेट की उपलब्धता 1995 में ही शुरू हुई, जिसने भारत में डिजिटल क्रांति की नींव रखी।

शुरुआती संकेत: ERNET और शैक्षिक उपयोग (1986-1995)

भारत में इंटरनेट का विचार 1995 से काफी पहले पनप रहा था। 1986 में, इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग (Department of Electronics – DoE) द्वारा एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) की स्थापना की गई थी। ERNET का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को एक साथ जोड़ना था, जिससे वैज्ञानिक डेटा और जानकारी का आदान-प्रदान सुगम हो सके। शुरुआती तौर पर, यह कुछ प्रमुख संस्थानों, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर और विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) तक ही सीमित था। ERNET ने इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) पर आधारित कनेक्टिविटी प्रदान की और इसने भारत में इंटरनेट की तकनीकी नींव रखी।

इस दौरान, इंटरनेट एक विशिष्ट समुदाय तक ही सीमित था। आम जनता को इसके बारे में बहुत कम जानकारी थी, और इसका उपयोग मुख्य रूप से ईमेल भेजने और कुछ अकादमिक डेटा तक पहुँचने के लिए किया जाता था। यह एक बंद पारिस्थितिकी तंत्र था, जो उन लोगों के लिए था जो अनुसंधान और विकास में लगे थे।


15 अगस्त 1995: इंटरनेट जनता के लिए खुला (The Grand Opening)

भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त 1995, एक ऐतिहासिक दिन बन गया जब VSNL ने मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास अपनी सेवाओं की शुरुआत की। यह एक प्रतीकात्मक क्षण था – स्वतंत्रता के दिन पर, भारत को सूचना की एक नई स्वतंत्रता मिल रही थी। VSNL ने शुरुआती तौर पर dial-up कनेक्शन की पेशकश की, जिसकी गति आज के ब्रॉडबैंड की तुलना में अविश्वसनीय रूप से धीमी थी। ग्राहकों को इंटरनेट से जुड़ने के लिए फोन लाइन और एक मॉडेम की आवश्यकता होती थी, और कनेक्शन अक्सर अस्थिर होते थे।

VSNL की यह पहल दूरदर्शिता का परिणाम थी। उस समय, भारत में कंप्यूटर का उपयोग सीमित था, और इंटरनेट की अवधारणा कई लोगों के लिए बिल्कुल नई थी। लेकिन VSNL ने इस नई तकनीक की क्षमता को पहचाना और इसे आम जनता तक पहुँचाने का जोखिम उठाया। शुरुआती उपयोगकर्ता मुख्य रूप से बड़े शहरों तक ही सीमित थे और इनमें व्यवसायी, तकनीकी उत्साही और कुछ शुरुआती शिक्षाविद शामिल थे।

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प्रारंभिक चुनौतियाँ और विकास (Early Challenges and Growth)

इंटरनेट की शुरुआत के साथ ही कई चुनौतियाँ सामने आईं:

  • उच्च लागत: शुरुआती दिनों में इंटरनेट कनेक्शन महंगा था। मॉडेम, फोन बिल और VSNL की सदस्यता शुल्क आम आदमी के लिए एक बड़ा निवेश था।
  • कम गति: dial-up कनेक्शन की गति (आमतौर पर 14.4 kbps या 28.8 kbps) आज के मानकों से बहुत धीमी थी। एक वेबपेज को लोड होने में कई मिनट लग सकते थे, और मल्टीमीडिया कंटेंट तक पहुंच लगभग असंभव थी।
  • बुनियादी ढाँचा: भारत में दूरसंचार बुनियादी ढाँचा अभी भी विकास के शुरुआती चरण में था। विश्वसनीय फोन लाइनें और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी की कमी एक बड़ी बाधा थी।
  • जागरूकता की कमी: आम जनता को इंटरनेट के बारे में बहुत कम जानकारी थी। लोगों को यह समझने में समय लगा कि इंटरनेट क्या है और इसके क्या उपयोग हो सकते हैं।

इन चुनौतियों के बावजूद, इंटरनेट का विकास धीमा लेकिन स्थिर था। जैसे-जैसे अधिक लोग ऑनलाइन आए, इंटरनेट कैफे (साइबर कैफे) तेजी से लोकप्रिय हुए। ये कैफे उन लोगों के लिए एक प्रवेश बिंदु बन गए जिनके पास घर पर कंप्यूटर या इंटरनेट कनेक्शन नहीं था। युवा पीढ़ी ने ईमेल के माध्यम से संवाद करना सीखा और विश्वव्यापी वेब की खोज की।


निजीकरण और व्यापक पहुँच (Privatization and Wider Access)

1998 में, भारत सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) के क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों को प्रवेश की अनुमति दी। यह एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया और इंटरनेट सेवाओं की लागत को कम करने में मदद की। अधिक ISPs के आने से, इंटरनेट की पहुँच बड़े शहरों से निकलकर छोटे शहरों और कस्बों तक फैलने लगी।

इस अवधि में, ब्रॉडबैंड इंटरनेट की शुरुआत हुई, जिसने डेटा ट्रांसफर की गति में नाटकीय सुधार किया। ADSL (Asymmetric Digital Subscriber Line) जैसी तकनीकों ने उपयोगकर्ताओं को हमेशा जुड़े रहने और तेजी से वेब ब्राउज़ करने, वीडियो स्ट्रीम करने और बड़ी फ़ाइलों को डाउनलोड करने की क्षमता दी।


डिजिटल क्रांति का उदय (The Rise of the Digital Revolution)

21वीं सदी की शुरुआत तक, इंटरनेट भारत में एक मुख्यधारा की सुविधा बन गया था। मोबाइल क्रांति, स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग, और किफायती डेटा प्लान ने इंटरनेट को हर हाथ में पहुँचा दिया। ई-कॉमर्स, ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे क्षेत्रों ने भारत के डिजिटल परिदृश्य को बदल दिया।

आज, भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट बाजारों में से एक है, जिसमें सैकड़ों मिलियन उपयोगकर्ता हैं। डिजिटल इंडिया जैसी सरकारी पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच बढ़ाने और विभिन्न सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन लाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

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निष्कर्ष (Conclusion)

15 अगस्त 1995 को VSNL द्वारा शुरू की गई इंटरनेट सेवा एक बीज थी जिसने भारत में एक विशाल डिजिटल वृक्ष का निर्माण किया। इसने न केवल सूचना तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाया, बल्कि नए उद्योगों, व्यवसायों और रोजगार के अवसर भी पैदा किए। भारत में इंटरनेट की यात्रा अभी भी जारी है, और यह देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण चालक बनी रहेगी।

इस यात्रा ने हमें दिखाया है कि कैसे एक तकनीकी नवाचार समाज को बदल सकता है और हमें एक अधिक जुड़े हुए और सूचित भविष्य की ओर ले जा सकता है। क्या आप भारत में इंटरनेट के किसी विशिष्ट पहलू या इसके आगे के विकास के बारे में अधिक जानना चाहेंगे?

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