vat Purnima 2024 महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त
वट पूर्णिमा, जिसे सावित्री व्रत, अक्षय तृतीया और बड़वो का त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
यह त्योहार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मई या जून में पड़ता है।
यह व्रत पतिव्रता सावित्री की अटूट पतिव्रता और सतीत्व का प्रतीक है।
इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। vat Purnima 2024
वट पूर्णिमा का महत्व:
- पतिव्रता का प्रतीक: वट पूर्णिमा पतिव्रता सावित्री की अटूट पतिव्रता और सतीत्व का प्रतीक है।
- सौभाग्य और समृद्धि: इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली प्राप्त होती है।
- पापों का नाश: यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और वट वृक्ष की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पर्यावरण संरक्षण: वट वृक्ष को दीर्घायु और अमरता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलता है।
वट पूर्णिमा की पूजा विधि:
- व्रत: वट पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा की तैयारी: पूजा के लिए वट वृक्ष के नीचे वेदी बनाएं। वेदी पर जल, चावल, फूल, फल, मिठाई, दीप, कलश आदि रखें।
- वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष की जड़ों को जल से धोएं और उन पर कुमकुम, हल्दी और चंदन लगाएं। वृक्ष को कलावा बांधें और फूल और फल चढ़ाएं।
- सावित्री-सत्यवान कथा: वट पूर्णिमा की कथा सुनें या पढ़ें।
- पारण: पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण करें। वृक्ष को भोजन और दक्षिणा अर्पित करें।
वट पूर्णिमा की व्रत कथा: vat Purnima 2024
सावित्री और सत्यवान पति-पत्नी थे।
सत्यवान को भविष्यवक्ता ने बताया था कि उनकी आयु केवल 12 वर्ष होगी।
जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया, तो सावित्री ने यमराज का पीछा किया।
सावित्री के सतीत्व और पतिव्रता से यमराज प्रभावित हुए और उन्होंने सत्यवान को जीवनदान दे दिया।
इस प्रकार, सावित्री की अटूट पतिव्रता के कारण सत्यवान जीवित हुए।
वट पूर्णिमा 2024 का शुभ मुहूर्त:
- व्रत प्रारंभ का समय: 17 जून 2024, सुबह 03:46 बजे
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 जून 2024, शाम 06:14 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 जून 2024, शाम 08:29 बजे
- व्रत पारण का समय: 18 जून 2024, शाम 08:29 बजे के बाद
निष्कर्ष:
वट पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हमें अपने जीवन में पति या पत्नी के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
यह व्रत हमें यह भी सिखाता है कि हमें पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए और प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। vat Purnima 2024
वट पूर्णिमा मनाकर हम अपने जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं।
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